प्रमोद कृष्ण खुराना
विज्ञान के बढ़ते कदमों की वजह से हम सब जानते हैं कि धरती कैसे बनी, धरती पर जीवन का उद्भव और फिर विकास कैसे हुआ, जलचर से थलचर कैसे बने और मानव जीवन किन चरणों से गुजरता हुआ आज की स्थिति तक पहुंचा। पर क्या आपने कभी इस पर गहराई से सोचा है? मुझे मालूम है कि कभी न कभी इस सवाल ने आपका ध्यान खींचा ही होगा। मेरी ही तरह आपने भी महसूस किया होगा कि शायद यह उतना बड़ा सवाल नहीं है कि पहली बार आग कैसे जली होगी, बल्कि बड़ा सवाल यह है कि पहली बार मानव ने आग का उपयोग अपने लाभ के लिए कब और कैसे किया होगा? पहली बार कब खेती शुरू हुई होगी और पहली बार कब खेतों में सिंचाई का ध्यान आया होगा? पहली बार कब किसी ने सोचा होगा कि गेहूं की बालियों में से गेहूं निकाल कर उसे पीसा भी जा सकता है, फिर यह कि आटा गूंथ कर उसे पकाया भी जा सकता है? ‘पहली बार’ के ये सभी सवाल ही हमारी प्रगति के मील पत्थर साबित हुए हैं। जब आप कभी किसी समस्या में गहरे उतरते हैं तो आपकी जिज्ञासा और कल्पनाशक्ति खुद-ब-खुद आपको रास्ता दिखाती चलती है। गहरे पानी पैठने की यह आदत ही हमारी प्रगति और सफलता का मूलमंत्र है।
‘विशेषज्ञ’ कैसे बनें?
आज हम विशेषज्ञ बनने के तरीकों की चर्चा करेंगे। पर इससे पहले कि हम विशेषज्ञ बनने के चरणों पर विचार करें, यह जान लेना उत्तम होगा कि ‘विशेषज्ञ’ किसे कहते हैं? यानी, किसी विशेषज्ञ की विशेषताएं क्या हैं? साधारण शब्दों में कहें तो इसका अर्थ यह है कि विशेषज्ञ किसे कहा या माना जाता है। उत्तर बहुत सीधा है। वह व्यक्ति जो अपनी शिक्षा अथवा अनुभव अथवा दोनों के कारण किसी विषय विशेष की सांगोपांग जानकारी रखता हो, उसका आधिकारिक विद्वान हो, उस विषय पर उसकी राय की कद्र की जाती हो, उसे उस विषय विशेष का विशेषज्ञ माना जाता है। विशेषज्ञ कैसे बनें, इस बार की हमारी सारी चर्चा इसी विषय पर केंद्रित है।
जिज्ञासा है पहला चरण
मानव की जिज्ञासा बहुत बड़ा हथियार है। आपकी जिज्ञासा आपको कुछ ‘नया’ जानने और कुछ ‘नया’ करने को उकसाती है। जब आपकी जिज्ञासा मुखरित होती है तो आप सवाल पर सवाल करते हैं, समस्या की गहराई में उतरते हैं, उसे हर कोण से, हर पहलू से जानने का प्रयत्न करते हैं और संबंधित विषय की आपकी जानकारी बढ़ती चलती है। जिज्ञासा सभी प्रयोगों, सभी आविष्कारों और सभी तरह के विकास की जननी है। विज्ञान, चिकित्सा, कला और सभ्यता के उत्थान की शुरुआत मानव मन की जिज्ञासा से ही हुआ है।
कल्पना का कमाल
जिज्ञासा वह पहला चरण है जो आपसे कोई काम आरंभ करवाती है। सैद्घांतिक रूप में आप किसी विषय की कितनी ही जानकारी ले लें, काम में आने वाली समस्याओं पर कितने ही पहलुओं से विचार कर लें, सिद्घांत और व्यवहार में कुछ अंतर रहने की संभावनाएं सदा रहती हैं। काम करते हुए कई नई और अनपेक्षित समस्याएं सामने आ सकती हैं। ऐसी समस्याओं के हल के लिए आप अपनी कल्पनाशक्ति का सहारा लेते हैं और धीरे-धीरे कुछ प्रयासों के बाद आप समस्या का हल ढूंढ़ लेते हैं। यह कल्पनाशक्ति का ही कमाल है कि आप काम आरंभ करने से पहले उसके बारे में हर पहलू से सोच पाते हैं, तथा यह भी कल्पनाशक्ति का ही कमाल है कि आप समस्या का रचनात्मक विश्लेषण करते हैं और उसका कारगर समाधान ढूंढ़ लेते हैं।
अभ्यास है कुंजी
जिज्ञासा अगर पहला चरण है कल्पनाशक्ति उसका विस्तार है तो अभ्यास उसका अंतिम चरण है जो आपको सफलता के द्वार तक ले चलता है। अभ्यास के बिना आपका कार्य वस्तुत: अधूरा ही रह जाता है और आप व्यावहारिक व्यक्ति के बजाए शेखचिल्ली बनकर रह जाते हैं। स्वप्नजीवी होना बहुत बड़ा गुण है। उसे कम करके नहीं आंका जा सकता। कभी मनुष्य की कल्पना में उड़ पाने की इच्छा उपजी तभी तो उसने संभावनाओं को तलाशा और वायु-विहार के आश्चर्यजनक साधन खोज निकाले। फिर भी जब तक आप कल्पना को व्यवहार में नहीं उतारते आपका ज्ञान अधूरा है। सैद्घांतिक रूप में आप किसी विषय की कितनी भी जानकारी ले लें, आप उसे सांगोपांग तभी जान सकते हैं जब आप उस पर काम करना आरंभ करें। तैरना जानने के लिए आप कितनी ही पुस्तकें पढ़ लें, जब तक आप पानी में नहीं उतरेंगे, तैराक नहीं बन सकते। तैरना सीख लेने के बाद भी तैरने का अभ्यास जारी रखना आवश्यक है। एक ही काम जब आप बार-बार दोहराते हैं तो वह आपके लिए आसान हो जाता है क्योंकि आपको उसका ‘अभ्यास’ हो जाता है। यह अभ्यास ही विशेषज्ञता की पहचान है।
जिज्ञासा, कल्पनाशक्ति और अभ्यास
उपरोक्त विश्लेषण से आप जान गए होंगे कि विशेषज्ञ कैसे बना जाता है। एक ही कार्य को बार-बार दोहराने से जब वह कार्य आपके लिए आसान हो जाता है तो आप उसके विशेषज्ञ हो जाते हैं। कुशल कलाकार, कुशल सर्जन, कुशल सेल्समैन, कुशल मैनेजर आदि सब अभ्यास से बनते हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र पर निगाह डालिये, आप पायेंगे कि अभ्यास की कुंजी ने लोगों को विशेषज्ञ बनाकर सफलता के द्वार तक पहुंचाया है।
विशेषज्ञ बनना आसान नहीं है क्योंकि यह आपका पूरा ध्यान, पूरी एकाग्रता चाहता है, पर विशेषज्ञ बनना कठिन भी नहीं है क्योंकि केवल दृढ़ निश्चय और थोड़े से अभ्यास से आप ऐसा कर सकते हैं। अब निर्णय आप करेंगे कि आप स्वयं से क्या चाहते हैं। ***
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