प्रमोद कृष्ण खुराना
Pramod Krishna Khurana (popularly known as P.K.Khurana)
भारतीय संस्कृति में गणेश जी की बड़ी महत्ता है। हर कार्य की शुरुआत से पहले गणेश वंदना द्वारा कार्य की सफलता की प्रार्थना की जाती है। गणेश जी सफलता की शुरुआत हैं। आज हम सफल जीवन के रहस्यों की जानकारी की शुरुआत भी गणेश जी से ही करेंगे। घबराइये मत, यह कोई धार्मिक प्रवचन नहीं, अपितु सफल जीवन के लिए आवश्यक गुणों का वैज्ञानिक विवेचन मात्र है।
हम जानते हैं कि गणेश जी के दो बड़े-बड़े कान हैं और वे एकमुखी हैं। अपने व्यावहारिक जीवन में हम इससे बहुत बड़ी सीख ले सकते हैं। कान दो, और वे भी बड़े-बड़े, यानी अच्छे श्रोता का सबसे बड़ा गुण। प्रकृति ने हमें गणेश जी जैसे बड़े कान तो नहीं दिये, पर हम यदि लोगों की बातें ध्यान से सुनना शुरू कर दें, उनकी बातों में रुचि लें, बातचीत के बीच-बीच में जताते रहें कि उनकी बात अच्छी लगी, तो निश्चय जानिये, हम सभी के प्रिय बन जायेंगे। दो बड़े-बड़े कानों के विपरीत केवल एक मुंह होना हमें यह सिखाता है कि हम कम बोलें और जो बोलें सोच-समझ कर बोलें। कोमल जिह्वा मजबूत और कठोर दांतों के बीच वास करती है, अत: इसे संभल कर रहना चाहिए और मीठा-मीठा बोलना चाहिए। गणेश जी की लंबी सूंड से हमें सीख मिलती है कि हम जीवन में आने वाले दुर्लभ अवसरों को दूर से सूंघ लें। उनके अनुसार खुद को तैयार करें और सफलता की राह प्रशस्त कर लें। गणेश जी मूषक की सवारी करते हैं, यानी कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी निकृष्ट नहीं है और हम उससे कुछ न कुछ सहयोग अवश्य ले सकते हैं। गणेश जी ने अपने बड़े भाई कार्तिकेय की तरह पृथ्वी का चक्कर लगाने के बजाए शिवजी और पार्वती की परिक्रमा करके ब्रह्मांड की परिक्रमा कर ली और गणपति बन गये। हमारा हर कार्य भी यदि हमारे मुख्य उद्देश्य के इर्द-गिर्द घूमेगा और यदि जीवन के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव हमारा ध्यान नहीं बंटायेंगे तो हम भी जननायक हो जाएंगे।
अच्छे श्रोता बनना, कम बोलना, तोल कर बोलना, मीठा बोलना, छोटी-मोटी बातों को भुलाकर मुख्य उद्देश्य की ओर ध्यान लगाना, हर व्यक्ति का सहयोग लेना आदि गुण हमारी लोकप्रियता और प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं तथा हमें असफल व्यक्तियों की जमात से निकाल कर गिने-चुने सफल व्यक्तियों में शामिल करवा सकते हैं।
लोहे और चुंबक में एक ही अंतर है। लोहे के परमाणुओं की दिशा अलग-अलग होती है जबकि चुंबक के सभी परमाणु एक ही दिशा में हो जाते हैं। सफल व्यक्तियों के व्यक्तित्व में कोई चमत्कार नहीं होता, बस उनका सारा ध्यान, उनकी हर गतिविधि एक उद्देश्य से प्रेरित होती है। असफल व्यक्ति का कोई लक्ष्य नहीं होता या शायद कई लक्ष्य होते हैं, सफल व्यक्ति का एक ही निश्चित लक्ष्य होता है, तथा वह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए के लिए उसकी एक निश्चित कार्य-योजना होती है। असफल व्यक्ति समय गंवाता है और काम के बोझ की अधिकता से परेशान रहता है, सफल व्यक्ति एक-एक करके काम निपटाता चलता है ताकि उसका हर काम समय पर समाप्त हो जाए।
भविष्य में जब कभी आपको किसी शुभ कार्य की शुरुआत से पूर्व गणेश वंदना का अवसर मिले तो कृपया उनके दो बड़े कानों की ओर अवश्य देखिए, उनके एकमात्र मुख का ध्यान रखिए, दांतों के बीच रहकर जीवन काटने वाली जिह्वा की ओर देखिए, उनकी लंबी सूंड से प्रेरणा लीजिए और याद रखिए कि उनके इन सभी अंगों से हमें कोई महत्वपूर्ण सीख मिलती है।
गणेश जी का शरीर आकर्षक नहीं है फिर भी उन्हें सबसे पहले पूजा जाता है। हमारी शक्ल-सूरत पर हमारा कोई बस नहीं है, पर हमारे गुणों और व्यवहार पर हमारा पूरा नियंत्रण है। हमारी आदतें और व्यवहार हमें सफल अथवा असफल बना सकती हैं। गणेश जी जैसे पूज्य देवता की वंदना का इससे बढिय़ा तरीका और क्या हो सकता है कि हम उनके अंग-प्रत्यंग से सीख लेकर, अपना एक कार्य मात्र ही नहीं, बल्कि पूरा जीवन सफल बना लें। आइये, तन, मन, वचन और कर्म से गणेश जी की वंदना में जुट जाएं ! ***
Mail me at pkk@lifekingsize.com
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment