प्रमोद कृष्ण खुराना
भारतीय संस्कृति का एक-एक पहलू ज्ञान से परिपूर्ण है। हमारे त्योहारों और रीति-रिवाजों से सामाजिक तानेबाने की नजाकत की गहरी समझ नजर आती है। इसी प्रकार हमारा साहित्य, लोकगीत, कहावतें और मुहावरे हमें जीवन की सच्चाइयों की याद दिलाते रहते हैं। भारतीय संस्कृति में रची-बसी एक प्रार्थना ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय.... ’इसका सार्थक उदाहरण है। इस प्रार्थना में भ्रम, झूठ और अज्ञान के अंधकार से सत्य और ज्ञान की ओर की यात्रा की कामना निहित है। इस बार हम जिस विषय की चर्चा करेंगे, वह भी हमें भ्रम के जाल से बच कर सच को पहचानने तथा अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलने का एक छोटा-सा प्रयास है।
सफल व्यक्तियों के बारे में कई तरह की किंवदंतियां बन जाती हैं और हम लोग कई तरह के भ्रम पाल लेते हैं। अपने अनुभव से मैंने जाना है कि ये भ्रम भी हमारा बहुत नुकसान करते हैं क्योंकि इन भ्रमों के चलते हम सही निर्णय नहीं ले पाते परिणामस्वरूप हम अपनी असफलता का कारण तक नहीं जान पाते। आइये, इन भ्रामक विचारों को विस्तार से जानने का प्रयास करें ताकि हम उनके जाल में न फंसें।
पहला भ्रम -- कोई नया व्यवसाय सफल बनाने के लिए आपके पास कोई मौलिक खोज या अनूठा ‘ट्रेड सीक्रेट’होना आवश्यक है
किसी भी व्यवसाय की सफलता का मूल कारण अपने कार्य में दक्षता लाकर ग्राहकों को ज्यादा सुविधा उपलब्ध करवाना है। आप छोटी से छोटी दूकान की बात करें, बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर की बात करें, किसी नये उत्पाद या सेवा की बात करें, जरा-सी कोशिश से ही यह जाहिर हो जाएगा कि सिर्फ ग्राहकों को दक्ष और सुविधाजनक सेवा प्रदान करके किसी विचार को लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया गया। नया सफल व्यवसाय आरंभ करने के लिए आवश्यक यह है कि आप अपने ही क्षेत्र के अनुभव और ज्ञान का लाभ उठाकर ग्राहकों को कोई नयी सुविधा या बचत उपलब्ध करवायें।
दूसरा भ्रम -- धन कमाने के लिए आपके पास धन का होना आवश्यक है
पिछले दशक के सफल लोगों के जीवन का विश्लेषण करें तो हम पाते हैं कि उन सभी ने धन से नहीं बल्कि किसी नये विचार अथवा व्यावसायिक दर्शन पर आधारित व्यवसाय की शुरुआत की। बिल गेट्स, स्टीफन जॉब्स, चाल्र्स वैंग या धीरू भाई अंबाणी, सभी ने व्यवसाय की सफलता के लिए अंतदृष्टि और कड़ी मेहनत का सहारा लिया। यदि आप किसी ऐसे उत्पाद का निर्माण करते हैं या सेवा चलाते हैं जिसकी मांग है, तो उसके लिए धन इकट्ठा करना ज्यादा बड़ी समस्या नहीं रह जाता। आजकल तो खास इसलिए भी क्योंकि कर्ज देने के लिए भी वित्तीय संस्थाओं में खूब होड़ है। धन और प्रतिभा की होड़ में प्रतिभा का महत्व ज्यादा है।
तीसरा भ्रम -- सफल होने के लिए आपका उच्च शिक्षा-प्राप्त होना आवश्यक है
अनुसंधानों ने सिद्घ किया है कि औपचारिक शिक्षा जितना बड़ा गुण है, उतना ही बड़ा अवगुण भी है। औपचारिक शिक्षा की एक बुराई यह है कि बहुत से शिक्षित लोग यह भ्रम पाल लेते हैं कि चूंकि वे शिक्षित हैं अत: उन्हें कुछ खास किस्म के कार्य नहीं करने चाहिएं, इसी प्रकार वे एक अन्य भ्रम के शिकार हो जाते हैं कि चूंकि वे शिक्षित हैं अत: वे कुछ खास तरह के कार्यों के लिए पूर्णरूप से दक्ष हो चुके हैं। पारंपरिक शिक्षा का दूसरा बड़ा और ज्यादा खतरनाक दोष यह है कि यह लोगों तथा पूरी कार्य प्रणाली में विश्वास की जगह दोषदृष्टि (दूसरों के दोष छांटने की प्रवृत्ति) को जन्म देती है तथा अनुराग की जगह झूठा आत्म-विश्वास जगाती है। व्यवसाय में आपकी सबसे बड़ी पूंजी अपनी अंतदृष्टि में आपका अडिग विश्वास और इसे वास्तविकता में बदल सकने की क्षमता है।
चौथा भ्रम -- व्यवसाय में सफल होने के लिए आपको संपर्क ‘गढऩे’की आवश्यकता होती है
व्यवहारकुशल होना या मिलनसार होना न गलत है न बुरा, पर व्यावसायिक मिलनसारिता के नाम पर प्रचलित भ्रम और झूठ की काई से बाहर आना आवश्यक है। जहां संबंधों में ईमानदारी न हो, वे रिश्ते लंबे नहीं चलते। फायदा इसी में है कि या तो ईमानदार रिश्ता बनाइये या फिर अपने समय को अपने व्यवसाय की नई संभावनाएं खोजने पर खर्च कीजिए।
पाँचवाँ भ्रम -- धन तो बस ‘फंदा’है!
लगभग हर समाज में मान्यता है कि प्यार, मित्रता व यश आदि धन से ज्यादा कीमती हैं तो भी धन की उपयोगिता पर कहीं कोई विवाद नहीं है। वस्तुत: हर सभ्य समाज में सफलता का सबसे बड़ा मानक धन ही है। यदि आप सफलता के बारे में सचमुच गंभीर हैं तो धन की आवक पर निगाह अवश्य रखिए। यह एक अनुभूत सत्य है कि जब तक आपके पास धन की बड़ी मात्रा नहीं आनी आरंभ हो जाती, कोई नहीं मानता कि आप सफलता की ओर बढ़ रहे हैं।
छठा भ्रम -- किसी सफल व्यक्ति की तर्ज पर अपना पेशा और व्यवहार गढऩा सफलता का सुरक्षित साधन है
किसी सफल व्यक्ति का आश्रित या रक्षित हो जाने अथवा उसके यहां प्रशिक्षित होने में जहां सुविधा है, वहीं खतरा भी है। किसी के प्रशंसक या भक्त बनकर अक्सर आप अपनी खूबियां भूलकर हर बात में आंखें बंद करके उस व्यक्ति की नकल करने लग जाते हैं। इस प्रकार आप अपना जीवन खुद बनाने के बजाए अपने मार्गदर्शक के मानकों का अनुकरण करने लग जाते हैं।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी हर कमजोरी के साथ प्रकृति ने हमें कोई खूबी भी दी है। जब आप अपनी खूबियों और खामियों को जानकर अपनी खूबियों से लाभ लेना आरंभ कर देते हैं तो आप सफल हो जाते हैं।
सातवाँ भ्रम -- सफलता के लिए आपका बहिर्मुखी होना अत्यावश्यक है
हम सोचते हैं कि बहिर्मुखी होना, लोगों से संबंध बनाने की कला जानना व्यावसायिक सफलता का मौलिक सूत्र है, जबकि यह पूर्ण सत्य नहीं हैं। हर की सफलता का मूल अपने व्यवसाय के प्रति वह आत्मिक अनुराग है जो सिर्फ अकेले में ही पैदा होता है। सफल व्यवसायी काफी समय अकेले बिताते हैं। वे अपने सहयोगियों को प्रेरित करना जानते हैं पर ज्यादातर सफल व्यवसायी अपना निजी जीवन परिवार व मित्रों के बीच ही बिताते हैं।
आठवाँ भ्रम -- सफलता और ग्लैमर साथ-साथ चलते हैं
महत्वाकांक्षी नौजवान अक्सर किसी सफल व्यक्ति के आकर्षक जीवन स्तर को सफलता का पर्याय मान लेते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि सफल व्यक्ति में सफलता के कारण उस जीवन स्तर के वहन की शानो-शौकत है, वह सफलता के पूर्व का नहीं बाद का जीवन है। किसी व्यवसाय की शानो-शौकत का कारण भी वह मेहनत है जो उसे खड़ा करती है। किसी व्यवसाय को बनाने में लगा आपका परिश्रम ही उसकी सफलता का राज है।
नौंवाँ भ्रम -- व्यावसायिक दक्षता रचनात्मकता का तोड़ है
बहुत से लोग रचनात्मकता और व्यावसायिक दक्षता में कोई रिश्ता नहीं बना पाते। न तो अकेली रचनात्मकता व्यवसाय की कुशलता का विकल्प है और न ही रचनात्मकता के बिना व्यावसायिक कुशलता संभव है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। किसी एक की अति सफल व्यवसाय के लिए हानिकारक हो सकती है, अत: टिकाऊ व्यवसाय के लिए दोनों में सामंजस्य और संतुलन आवश्यक है।
दसवाँ भ्रम -- चापलूसी सफलता का सबसे आसान तरीका है
सफलता के लिए चापलूस होना शायद सबसे बड़ी गलती है। अक्सर अपनी सही बात मनवाने के लिए आपको लोगों को नाराज करना पड़ सकता है। समझदार व्यक्ति जानते हैं कि जब आप उन्नति करेंगे तो कभी जायज और कभी नाजायल ईष्र्या भी होगी और नाराजगी भी। आपको इससे डरना नहीं चाहिए क्योंकि आप किसी भी तरह से इससे बच नहीं सकते। हां, यह जरूर ध्यान रखें कि दंभपूर्ण व्यवहार के कारण यूं ही लोगों को अपना दुश्मन न बनाते चलें। आखिर आपने जिन लोगों के बीच रहना है उनका सहयोग कहीं न कहीं तो आपको दरकार होगा ही।
सही ज्ञान आपको सकारात्मक पहल की स्वतंत्रता और शक्ति प्रदान करता है। इस सच से लाभ उठाइए और अपने जीवन में सफलता की बहार को फलते-फूलते देखिए।
सफल लोगों के महत्वपूर्ण गुण
मनोवैज्ञानिकों तथा मानवीय स्वभाव का अध्ययन करने वाले अन्य विशेषज्ञों ने कुछ गुणों की पहचान की है जो सफल व्यक्तियों में आमतौर से पाये जाते हैं। यदि आप इनमें से चार या अधिक गुणों का लगातार प्रदर्शन करते हैं तो आप सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में साधारण लोगों की अपेक्षा कहीं ज्यादा शक्तिशाली हैं और लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। ये गुण हैं :
1. लोगों की आंखों में झांकते हुए पूरे विश्वास के साथ अपनी बात कह पाने की क्षमता, चाहे शुरू में लोग उस पर विश्वास न भी करते हों।
2.यदि आप सही हैं तो शालीनता परंतु दृढ़ता से लोकमत के विपरीत विचार व्यक्त कर पाने की क्षमता।
3.शक्तिशाली व्यक्ति की अनावश्यक चापलूसी और कमजोर को दबाने की प्रवृत्ति से सायास परहेज करना।
4.सामाजिक जीवन में अपने शब्दों, भावनाओं और गतिविधियों पर नियंत्रण की क्षमता।
5.व्यावसायिक जीवन की मिलनसारिता के बीच-बीच अकेले रहने और अपनी योजनाएं खुद बनाने की क्षमता।
6.विरोधियों की उकसाहट के बावजूद लंबे समय तक चुप्पी बनाए रखने की क्षमता। ***
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